मैं धरा पर कदम रखकर आकाश का हाथ पकड़ लेना चाहता हूँ मैं धरा पर कदम रखकर आकाश का हाथ पकड़ लेना चाहता हूँ
बुझा- बुझा सा मन, सूना बेजान सा जीवन। बुझे मन से कैसे जिये कोई कुछ तो उत्साहित रहे य बुझा- बुझा सा मन, सूना बेजान सा जीवन। बुझे मन से कैसे जिये कोई कुछ तो उ...
जिस से घर चलता वही दीपक बुझा दिया जिस से घर चलता वही दीपक बुझा दिया
कुछ अनकहा सा था , जो बह गया कुछ बेपनाह सा था जो दिल में ही रह गया, अब नई मंजिलों म कुछ अनकहा सा था , जो बह गया कुछ बेपनाह सा था जो दिल में ही रह गया, ...
तोड़े गए फूलों के यहाँ खरीददार हैं बहुत कुचला गया उस फूल को जो था टूटा हुआ तोड़े गए फूलों के यहाँ खरीददार हैं बहुत कुचला गया उस फूल को जो था टूटा हुआ
हर चेहरा क्यूं बुझा बुझा सा, हर चेहरा क्यूं डरा डरा सा । हर चेहरा क्यूं बुझा बुझा सा, हर चेहरा क्यूं डरा डरा सा ।